ज्योतिष विषय वेदों जितना ही प्राचीन है। प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्य खगोलीय पिण्डों का अध्ययन करने के विषय को ही ज्योतिष कहा गया था। इसके गणित भाग के बारे में तो बहुत स्पष्टता से कहा जा सकता है कि इसके बारे में वेदों में स्पष्ट गणनाएं दी हुई हैं। फलित भाग के बारे में बहुत बाद में जानकारी मिलती है।
भारतीय आचार्यों द्वारा रचित ज्योतिष की पाण्डुलिपियों की संख्या एक लाख से भी अधिक है।[1]
'ज्योतिष' से निम्नलिखित का बोध हो सकता है-
वेदांग ज्योतिष
सिद्धान्त ज्योतिष या 'गणित ज्योतिष' (Theoretical astronomy)
फलित ज्योतिष (Astrology)
अंक ज्योतिष (numerology)
खगोल शास्त्र (Astronomy)
93282 11011